लोगों की राय

बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - चतुर्थ प्रश्नपत्र - अनुसंधान पद्धति

एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - चतुर्थ प्रश्नपत्र - अनुसंधान पद्धति

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :172
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2696
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - चतुर्थ प्रश्नपत्र - अनुसंधान पद्धति

अध्याय - 3

अनुसन्धान समस्या

(Research Problem)

 

प्रश्न- अनुसन्धान समस्या से क्या तात्पर्य है? अनुसन्धान समस्या के विभिन्न स्रोतक्या है?

अथवा
अनुसन्धान समस्या से आप क्या समझते हैं? अनुसन्धान समस्या का चयन करते समय किन विशेषताओं का ध्यान रखना चाहिए?
अथवा
समस्या की परिभाषा व अर्थ बताकर इसके चार स्रोत लिखिए।

उत्तर -

अनुसन्धान समस्या
(Research Problem )

वैज्ञानिक अनुसन्धान प्रारम्भ करने से पहले अनुसन्धानकर्त्ता के सामने सर्वप्रथम यही समस्या होती है कि किस समस्या का अध्ययन किया जाये। अनुसन्धान समस्या का अनुसन्धान करने से पहले चयन करना होता है। अनुसन्धान समस्या का चयन करने के लिए अनुसन्धानकर्ता को जब समस्या से सम्बन्धित सैद्धान्तिक और व्यावहारिक ज्ञान होता है तो उसके लिए अनुसन्धान समस्या का चयन सरल हो जाता है। नये अनुसन्धानकर्त्ताओं को समस्या चयन अपेक्षाकृत कठिन होता है उन्हें हमेशा याद रखना चाहिए कि वह ऐसी अनुसन्धान समस्या चुने जो समाधान योग्य हो। इस सम्बन्ध में कुछ अधिक कहने से पूर्व इसके अर्थ को जानना अधिक आवश्यक है।

समस्या की परिभाषाएँ
( Definitions of Problem)

टाउनसेंड (1953) के अनुसार, “समस्या एक ऐसा प्रश्नवाचक कथन है जिसमें समस्या के समाधान को प्रस्तावित किया जाता है। सामान्यतः समस्या का अस्तित्व तब तक ही रहता है जब तक कि प्रस्तावित प्रश्न के समाधान हेतु कोई हल उपलब्ध नहीं हो सकता है।"

मैक्गन (1969) के अनुसार, “एक समाधान योग्य समस्या वह है जिसमें प्रश्न किया गया होता है, जिसका व्यक्ति की सामान्य क्षमताओं के द्वारा उत्तर प्राप्त किया जा सकता है। "

करलिंगर (1973) के अनुसार, “समस्या एक ऐसा प्रश्नवाचक कथन या वाक्य है जिसमें यह पूछा जाता है कि दो या दो से अधिक चरों में किस प्रकार का सम्बन्ध है।"

उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर अनुसन्धान समस्या को परिभाषित करते हुए कहा जा सकता है कि, “समाधान योग्य समस्या ऐसा प्रश्नवाचक कथन है जिसमें समस्या के समाधान को प्रस्तावित किया जाता है इस कथन में यह पूछा जाता है कि दो से अधिक चरों में किस प्रकार का सम्बन्ध है। " समस्या की उत्पत्ति (Origin of Problem)

मैक्गुइगन (1969) के अनुसार, समस्या की अभिव्यक्ति (Manifastation) के मुख्यतया तीन निम्नलिखित कारण हैं-

(1) ज्ञान में अपूर्णता (Gap in Knowledge ) - ज्ञान में अपूर्णता के कारण भी समस्या की अभिव्यक्ति होती है या समस्या उत्पन्न होती है जब किसी घटना के सम्बन्ध में हमारा ज्ञान भण्डार अपर्याप्त होता है अथवा किसी घटना के सम्बन्ध में तर्कयुक्त जानकारी नहीं होती है तब ऐसे में अनुसन्धान समस्या की अभिव्यक्ति होती है। उदाहरण के लिए जब किसी अनुसन्धानकर्ता को यह न ज्ञात हो कि 'मनोविज्ञान की अनेक अध्ययन विधियों में से कौन-सी विधि श्रेष्ठ है' अथवा 'बाल अपराध' व्यक्तित्व से किस प्रकार सम्बन्धित है।

(2) विरोधी परिणाम (Contradictory results) - समस्या तब भी उत्पन्न होती है जब अलग-अलग अनुसन्धानों से विरोधी परिणाम प्राप्त होते हैं। उदाहरण के लिए यदि एक अध्ययन से यह ज्ञात हो कि प्रतिक्रिया काल को लिंग भेद महत्वपूर्ण ढंग से प्रभावित करते हैं। दूसरे अध्ययन से यह ज्ञात हो कि प्रतिक्रिया काल पर लिंग भेदों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। तब विरोधी परिणामों के कारण समस्या की अभिव्यक्ति होती है।

(3) किसी तथ्य की व्याख्या (Explaining a fact ) - जब कोई अनुसन्धानकर्त्ता एक नवीन तथ्य को खोज लेता है लेकिन वह नवीन तथ्य की जानकारी को एक पूर्व स्थापित सिद्धान्त से सम्बन्धित नहीं कर पाता है। दूसरे शब्दों में अनुसन्धानकर्त्ता जब खोजे गये नवीन तथ्य की व्याख्या पूर्व स्थापित सिद्धान्त के आधार पर नहीं कर पाता है तब भी समस्या की अभिव्यक्ति होती है। समाज अभिव्यक्ति के सम्बन्ध में मैकगुइगन के उपरोक्त विचार केवल प्रयोगात्मक अनुसन्धान से सम्बन्धित समस्याओं के लिए ही अधिक सही हैं।

समस्या के स्रोत
(Sources of Problem )

यंग (1966) के अनुसार सामाजिक विज्ञानों में अनुसन्धान समस्या को ढूँढ़ने के लिए कई स्रोतों का उल्लेख दिया है।. इनमें से कुछ निम्न प्रकार से हैं-

(1) प्रलेखीय स्रोत (Documentary source ) - सरकारी तथा गैर-सरकारी संस्थाओं के प्रतिवेदन और इनके कार्यालयों में उपलब्ध आँकड़ें, स्थानीय अखबारों के विवरण, जनगणना और जनसंख्या सम्बन्धी आँकड़े तथा प्रकाशित रिपोर्ट आदि।

(2) व्यक्तिगत स्रोत (Personal source) - इसके अन्तर्गत दो स्रोत हैं-

(1) प्रत्यक्ष रूप से अनुसन्धान में लगे व्यक्ति (Persons directly involved in research)। (2) पेशेवर लोग (Professional persons ) - इसके अन्तर्गत प्राइवेट अनुसन्धान समस्याएँ और उनसे जुड़े हुए लोग आते हैं।

(3) पुस्तकालय स्रोत (Library source ) - इसके अन्तर्गत अनेक प्रकार की अनुसन्धान पुस्तकें, जनरल्स, विश्व - ज्ञानकोष (Encyclopedia), अनुसन्धान - सार (Abstracts), वार्षिकी पुस्तकें (Year books) जैसे Mental measurement year book.

(4) अधूरा ज्ञान (Gap in knowledge ) - समस्या की उत्पत्ति के स्रोत का यह एक महत्वपूर्ण बिन्दु है जिसका उल्लेख मैक्गुइगन (1969) ने किया है। ज्ञान में अधूरापन भी एक महत्वपूर्ण स्रोत है जिससे समस्या तब तक उत्पन्न होती रहती है जब तक ज्ञान का अधूरापन पूर्ण नहीं हो जाता है। उदाहरण के लिए अधिगम से सम्बन्धित प्रारम्भिक प्रयोगों में थार्नडाइक की समस्या इतनी ही थी कि, "समस्यात्मक स्थिति में पशु उपयुक्त व्यवहार का अधिगम कैसे करते हैं।" इस समस्या के अध्ययनों से ही समस्याएँ बनती गयीं और उसके अध्ययनों की श्रृंखला चलती रही। उसने इन्हीं प्रयोगों के आधार पर 'प्रयत्न भूल सिद्धान्त' का और सम्बन्धित नियमों का प्रतिपादन किया। उसके अनुसन्धानों की श्रृंखला बन्द नहीं हुई। आज भी इससे सम्बन्धित समस्याओं के अध्ययन में अनेकों मनोवैज्ञानिक कार्यरत हैं।

(5) परस्पर विरोधी अनुसन्धान परिणाम (Contradictory research results) - जब एक समस्या विशेष का अध्ययन दो या अधिक अनुसन्धानकर्ता करते हैं और उनके परिणाम परस्पर विरोधी होते हैं। इन परिणामों में कौन-से परिणाम सही हैं और कौन से परिणाम त्रुटिपूर्ण हैं। इस स्थिति में अनुसन्धानकर्ता के अध्ययन के लिए नई समस्या की उत्पत्ति होती है। परस्पर विरोधी परिणाम के कुछ प्रमुख कारण हैं -

(1) जब चरों का उपयुक्त नियन्त्रण नहीं होता है,
(2) जब परिणामों पर अनुसन्धानकर्त्ता की रुचियों, अभिनति और अभिवृत्तियों का प्रभाव पड़ता है,
(3) अनुक्रिया की अलग-अलग विशेषताओं को आश्रित चर (D.V.) मानकर अध्ययन किया जाता है,
(4) जब स्वतन्त्र चर के अनुपयुक्त अनेक मूल्यों के प्रभावों का अध्ययन किया जाता है।

(6) अनुसन्धानकर्त्ता की जिज्ञासा (Curiosity of researcher ) - अनुसन्धान विवरण के कारण उत्पन्न अनुसन्धानकर्त्ता की जिज्ञासा जितनी अधिक होती है उसे समस्या उतनी ही शीघ्र ढूँढ़ने में आसानी रहती है उसकी जिज्ञासा के अभाव में उसके लिए अन्य स्रोत भी महत्वपूर्ण नहीं रह जाते हैं। अतः समस्या उत्पत्ति का प्रमुख स्रोत स्वयं अध्ययनकर्त्ता का जिज्ञासु होना है। उसे अनुसन्धान से सम्बन्धित नई-नई बातें या तथ्य जानने की जितनी ही अधिक जिज्ञासा होती है उसे अनुसन्धान के लिए उतनी ही अधिक समस्याएँ उसके मानस पटल पर दृष्टिगोचर होने लगती हैं।

(7) अनुसन्धानकर्त्ता का स्वयं का अनुभव (Researcher's own experience) - यह देखा गया है कि यदि अनुसन्धानकर्त्ता स्वयं को अनुसन्धान करने का अच्छा अनुभव है तो उसे अपने द्वारा किये गये अनुसन्धान से सम्बन्धित समस्याओं से ही आगे अध्ययन के लिए समस्याएँ मिल जाती हैं।

(8) पहले किये गये कार्य की पुनरावृत्ति (Replication of previous work ) - किसी समस्या की पुनरावृत्ति करके अनुसन्धानकर्ता को तभी अध्ययन करना चाहिए जब वह समझे कि पुनरावृत्ति से महत्वपूर्ण तथ्य प्राप्त होंगे। अनुसन्धानकर्त्ता पुनरावृत्ति किसी समस्या की तब भी कर सकता जब उसे पहला अध्ययन सन्देहपूर्ण लगे।

(9) ज्ञात तथ्य की व्याख्या (Explaining a fact ) - जब किसी अनुसन्धान से कुछ ऐसे तथ्य ज्ञात होते हैं जिनकी न व्याख्या की जा सकती है और न उन्हें तथ्यों के साथ जोड़ा जा सकता है। तब भी अनुसन्धानकर्ता के लिए एक नई समस्या उत्पन्न होती है। उदाहरण के लिए परिहार अनुबन्धन और स्वतः पुनरावर्तन (Spontaneous recovery) जैसे तथ्य ज्ञात हुए परन्तु अनुभवसिद्ध (Emperical) जानकारी की आवश्यकता के कारण नई अनुसन्धान समस्याएँ उत्पन्न हुईं जिनका आगे के मनोवैज्ञानिकों ने समाधान किया।

(10) वैज्ञानिक निरीक्षण (Scientific observation ) - वैज्ञानिक निरीक्षणों द्वारा भी अनुसन्धान समस्या ढूँढ़ी जा सकती है। इस प्रकार समस्या ढूँढ़ने से पहले अध्ययनकर्त्ता को यह निश्चय करना होता है कि उसे किन लोगों पर अध्ययन करना है। जब वह समष्टि या जनसंख्या अध्ययन के लिए चुन लेता है तो वह अध्ययन इकाइयों का निरीक्षण करके, उनका साक्षात्कार करके उनसे समस्या प्रापत कर सकता है। जब समष्टि बड़ी हो तो वह सर्वेक्षण के आधार पर अनुसन्धान समस्या ढूँढ़ सकता है।

(11) विशेषज्ञ और सेमीनार (Experts and seminars ) - एक नया अनुसन्धानकर्त्ता सेमीनार और गोष्ठी में भाग लेकर वहाँ आए विद्वानों से विचार-विमर्श करके वह समस्या को प्राप्त कर सकता है। यदि एक अनुसन्धानकर्ता किसी क्षेत्र विशेष में ही अनुसन्धान समस्या ढूँढ़ना चाहता है तो वह उस क्षेत्र विशेष से परामर्श के द्वारा अध्ययन समस्या प्राप्त कर सकता है।

(12) उपेक्षित विषय (Neglected topics) - उपेक्षित विषयों से भी अनुसन्धान के लिए समस्या प्राप्त की जा सकती है। उपेक्षित विषयों से समस्या चुनते समय विशेषों से परामर्श ले लेना चाहिए क्योंकि कुछ कठिनाइयों के कारण जब विषयों की उपेक्षा की जाती है तब ऐसे में यह कठिनाइयाँ नये अध्ययनकर्ता को अधिक परेशान कर सकती हैं। अतः अनुसन्धानकर्ता को उपेक्षित विषय से समस्या बहुत सोच-समझकर ही लेनी चाहिए।

(13) नई प्रवृत्तियों और नए सिद्धान्तों का व्यवहारिक उपयोग द्वारा (Application of new trends and theories) - प्रत्येक विषय में अनुसन्धान अध्ययनों के कारण नए-नए सिद्धान्त और प्रवृत्तियाँ विकसित होने लगती हैं। इनसे सम्बन्धित समस्या अनुसन्धानकर्ता चुन सकता है। नई प्रवृत्तियों और नए सिद्धान्तों के व्यावहारिक उपयोग करके समस्या बनायी जा सकती है। इस स्रोत के लिए भी विशेषज्ञों से परामर्श आवश्यक है। इस प्रकार की समस्याओं के अध्ययन के लिए विशिष्ट योग्यता की आवश्यकता होती है।

(14) विधि सम्बन्धी दोष (Methodological defects) - अनुसन्धानकर्ता समस्या का चयन इस बिन्दु के आधार पर भी कर सकता है। विधि सम्बन्धी दोष निकालना नए अनुसन्धानकर्ता की क्षमताओं की बात नहीं है, यह तो केवल अनुभवी अनुसन्धानकर्ता ही कर सकते हैं, विशेष रूप से वह अनुसन्धानकर्त्ता जिसे विधियों का अच्छा ज्ञान है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- अनुसंधान की अवधारणा एवं चरणों का वर्णन कीजिये।
  2. प्रश्न- अनुसंधान के उद्देश्यों का वर्णन कीजिये तथा तथ्य व सिद्धान्त के सम्बन्धों की व्याख्या कीजिए।
  3. प्रश्न- शोध की प्रकृति पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- शोध के अध्ययन-क्षेत्र का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  5. प्रश्न- 'वैज्ञानिक पद्धति' क्या है? वैज्ञानिक पद्धति की विशेषताओं की व्याख्या कीजिये।
  6. प्रश्न- वैज्ञानिक पद्धति के प्रमुख चरणों का वर्णन कीजिए।
  7. प्रश्न- अन्वेषणात्मक शोध अभिकल्प की व्याख्या करें।
  8. प्रश्न- अनुसन्धान कार्य की प्रस्तावित रूपरेखा से आप क्या समझती है? इसके विभिन्न सोपानों का वर्णन कीजिए।
  9. प्रश्न- शोध से क्या आशय है?
  10. प्रश्न- शोध की विशेषतायें बताइये।
  11. प्रश्न- शोध के प्रमुख चरण बताइये।
  12. प्रश्न- शोध की मुख्य उपयोगितायें बताइये।
  13. प्रश्न- शोध के प्रेरक कारक कौन-से है?
  14. प्रश्न- शोध के लाभ बताइये।
  15. प्रश्न- अनुसंधान के सिद्धान्त का महत्व क्या है?
  16. प्रश्न- वैज्ञानिक पद्धति के आवश्यक तत्त्व क्या है?
  17. प्रश्न- वैज्ञानिक पद्धति का अर्थ लिखो।
  18. प्रश्न- वैज्ञानिक पद्धति के प्रमुख चरण बताओ।
  19. प्रश्न- गृह विज्ञान से सम्बन्धित कोई दो ज्वलंत शोध विषय बताइये।
  20. प्रश्न- शोध को परिभाषित कीजिए तथा वैज्ञानिक शोध की कोई चार विशेषताएँ बताइये।
  21. प्रश्न- गृह विज्ञान विषय से सम्बन्धित दो शोध विषय के कथन बनाइये।
  22. प्रश्न- एक अच्छे शोधकर्ता के अपेक्षित गुण बताइए।
  23. प्रश्न- शोध अभिकल्प का महत्व बताइये।
  24. प्रश्न- अनुसंधान अभिकल्प की विषय-वस्तु लिखिए।
  25. प्रश्न- अनुसंधान प्ररचना के चरण लिखो।
  26. प्रश्न- अनुसंधान प्ररचना के उद्देश्य क्या हैं?
  27. प्रश्न- प्रतिपादनात्मक अथवा अन्वेषणात्मक अनुसंधान प्ररचना से आप क्या समझते हो?
  28. प्रश्न- 'ऐतिहासिक उपागम' से आप क्या समझते हैं? इस उपागम (पद्धति) का प्रयोग कैसे तथा किन-किन चरणों के अन्तर्गत किया जाता है? इसके अन्तर्गत प्रयोग किए जाने वाले प्रमुख स्रोत भी बताइए।
  29. प्रश्न- वर्णात्मक शोध अभिकल्प की व्याख्या करें।
  30. प्रश्न- प्रयोगात्मक शोध अभिकल्प क्या है? इसके विविध प्रकार क्या हैं?
  31. प्रश्न- प्रयोगात्मक शोध का अर्थ, विशेषताएँ, गुण तथा सीमाएँ बताइए।
  32. प्रश्न- पद्धतिपरक अनुसंधान की परिभाषा दीजिए और इसके क्षेत्र को समझाइए।
  33. प्रश्न- क्षेत्र अनुसंधान से आप क्या समझते है। इसकी विशेषताओं को समझाइए।
  34. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण का अर्थ व प्रकार बताइए। इसके गुण व दोषों की विवेचना कीजिए।
  35. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके प्रमुख प्रकार एवं विशेषताएँ बताइये।
  36. प्रश्न- सामाजिक अनुसन्धान की गुणात्मक पद्धति का वर्णन कीजिये।
  37. प्रश्न- क्षेत्र-अध्ययन के गुण लिखो।
  38. प्रश्न- क्षेत्र-अध्ययन के दोष बताओ।
  39. प्रश्न- क्रियात्मक अनुसंधान के दोष बताओ।
  40. प्रश्न- क्षेत्र-अध्ययन और सर्वेक्षण अनुसंधान में अंतर बताओ।
  41. प्रश्न- पूर्व सर्वेक्षण क्या है?
  42. प्रश्न- परिमाणात्मक तथा गुणात्मक सर्वेक्षण का अर्थ लिखो।
  43. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण का अर्थ बताकर इसकी कोई चार विशेषताएँ बताइए।
  44. प्रश्न- सर्वेक्षण शोध की उपयोगिता बताइये।
  45. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण के विभिन्न दोषों को स्पष्ट कीजिए।
  46. प्रश्न- सामाजिक अनुसंधान में वैज्ञानिक पद्धति कीक्या उपयोगिता है? सामाजिक अनुसंधान में वैज्ञानिक पद्धति की क्या उपयोगिता है?
  47. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण के विभिन्न गुण बताइए।
  48. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण तथा सामाजिक अनुसंधान में अन्तर बताइये।
  49. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण की क्या सीमाएँ हैं?
  50. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण की सामान्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  51. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण की क्या उपयोगिता है?
  52. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण की विषय-सामग्री बताइये।
  53. प्रश्न- सामाजिक अनुसंधान में तथ्यों के संकलन का महत्व समझाइये।
  54. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण के प्रमुख चरणों की विवेचना कीजिए।
  55. प्रश्न- अनुसंधान समस्या से क्या तात्पर्य है? अनुसंधान समस्या के विभिन्न स्रोतक्या है?
  56. प्रश्न- शोध समस्या के चयन एवं प्रतिपादन में प्रमुख विचारणीय बातों का वर्णन कीजिये।
  57. प्रश्न- समस्या का परिभाषीकरण कीजिए तथा समस्या के तत्वों का विश्लेषण कीजिए।
  58. प्रश्न- समस्या का सीमांकन तथा मूल्यांकन कीजिए तथा समस्या के प्रकार बताइए।
  59. प्रश्न- समस्या के चुनाव का सिद्धान्त लिखिए। एक समस्या कथन लिखिए।
  60. प्रश्न- शोध समस्या की जाँच आप कैसे करेंगे?
  61. प्रश्न- अनुसंधान समस्या के प्रकार बताओ।
  62. प्रश्न- शोध समस्या किसे कहते हैं? शोध समस्या के कोई चार स्त्रोत बताइये।
  63. प्रश्न- उत्तम शोध समस्या की विशेषताएँ बताइये।
  64. प्रश्न- शोध समस्या और शोध प्रकरण में अंतर बताइए।
  65. प्रश्न- शैक्षिक शोध में प्रदत्तों के वर्गीकरण की उपयोगिता क्या है?
  66. प्रश्न- समस्या का अर्थ तथा समस्या के स्रोत बताइए?
  67. प्रश्न- शोधार्थियों को शोध करते समय किन कठिनाइयों का सामना पड़ता है? उनका निवारण कैसे किया जा सकता है?
  68. प्रश्न- समस्या की विशेषताएँ बताइए तथा समस्या के चुनाव के अधिनियम बताइए।
  69. प्रश्न- परिकल्पना की अवधारणा स्पष्ट कीजिये तथा एक अच्छी परिकल्पना की विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
  70. प्रश्न- एक उत्तम शोध परिकल्पना की विशेषताएँ बताइये।
  71. प्रश्न- उप-कल्पना के परीक्षण में होने वाली त्रुटियों के बारे में उदाहरण सहित बताइए तथा इस त्रुटि से कैसे बचाव किया जा सकता है?
  72. प्रश्न- परिकल्पना या उपकल्पना से आप क्या समझते हैं? परिकल्पना कितने प्रकार की होती है।
  73. प्रश्न- उपकल्पना के स्रोत, उपयोगिता तथा कठिनाइयाँ बताइए।
  74. प्रश्न- उत्तम परिकल्पना की विशेषताएँ लिखिए।
  75. प्रश्न- परिकल्पना से आप क्या समझते हैं? किसी शोध समस्या को चुनिये तथा उसके लिये पाँच परिकल्पनाएँ लिखिए।
  76. प्रश्न- उपकल्पना की परिभाषाएँ लिखो।
  77. प्रश्न- उपकल्पना के निर्माण की कठिनाइयाँ लिखो।
  78. प्रश्न- शून्य परिकल्पना से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित समझाइए।
  79. प्रश्न- उपकल्पनाएँ कितनी प्रकार की होती हैं?
  80. प्रश्न- शैक्षिक शोध में न्यादर्श चयन का महत्त्व बताइये।
  81. प्रश्न- शोधकर्त्ता को परिकल्पना का निर्माण क्यों करना चाहिए।
  82. प्रश्न- शोध के उद्देश्य व परिकल्पना में क्या सम्बन्ध है?
  83. प्रश्न- महत्वशीलता स्तर या सार्थकता स्तर (Levels of Significance) को परिभाषित करते हुए इसका अर्थ बताइए?
  84. प्रश्न- शून्य परिकल्पना में विश्वास स्तर की भूमिका को समझाइए।

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book